विंग कमांडर व्योमिका सिंह, भारतीय वायु सेना की बहादुर हेलीकॉप्टर पायलट, न सिर्फ आसमान पर नियंत्रण रखती हैं बल्कि सरकार के लिए राष्ट्रीय ऑपरेशनों की ज़िम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं। वे उस मिशन की आधिकारिक चेहरा बनकर उभरीं जिसने देश का गौरव और महिलाओं की भूमिका दोनों को एक नई पहचान दी — ऑपरेशन सिंदूर।
बचपन और प्रेरणास्त्रोत
व्योमिका का जन्म और प्रारंभिक जीवन लखनऊ में हुआ (उ.प्र.) । उन्होंने सेंट एंथनीज़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली से पढ़ाई की और 1998 में अपनी विद्यालयीय शिक्षा पूरी की ।
कक्षा छह में जब एक सहपाठी ने कहा, “व्योमिका का अर्थ है आकाश की बेटी,” तब उनकी पायलट बनने की आत्मा जाग गई । इसी घटना ने उन्हें आसमान को झुकाने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा और एयर फ़ोर्स में प्रवेश
स्कूलिंग के बाद व्योमिका ने दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और NCC से जुड़कर अनुशासन और नेतृत्व की नींव रखी । बाद में उन्होंने UPSC की योग्यता प्राप्त कर वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में फाॅर्ट्स सर्विस कमीशन (21वीं SSC महिलाओं) के जरिए 18 दिसंबर 2004 को कमीशन प्राप्त किया ।
कैरियर और उपलब्धियाँ
विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने 2500 से अधिक उड़ान घंटे पूरे किए हैं, खासकर Chetak और Cheetah हेलीकॉप्टरों पर, जो भारत के ऊंचे और कठिन इलाके जैसे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में उड़े गए थे।
नवंबर 2020 में उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में एक चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू अभियान का नेतृत्व किया, जहां कठिन मौसम और उच्च-altitude परिस्थितियों में उन्होंने महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की ।
इसके अतिरिक्त, 2021 में उन्होंने त्रि-सेवा महिला पर्वतारोहण अभियान में हिस्सा लेते हुए Mount Manirang (21,650 फीट) पर चढ़ाई की, जिसे वायुसेना प्रमुख द्वारा सराहा गया ।
ऑपरेशन सिंदूर: देश के लिए गर्व का पल
मई 2025 में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तानी न्यूक्लियर और आतंकवादी आधारों पर सटीक कार्रवाई की। इस ऑपरेशन में विंग कमांडर व्योमिका सिंह को प्रेस ब्रीफिंग में शामिल कर, उन्हें एक सफल और आत्मविश्वासी महिला नेता के रूप में प्रस्तुत किया गया।
यह ब्रीफिंग महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था—जैसे कि इन्होंने उस मंच से देश को ऑपरेशन की रणनीति और प्रभाव समझाया ।
सम्मान और समाज में प्रभाव
बिरला संगीत, भानुप्रताप सिंह और सारियो-सिल्क संग्रह के दौरान, भोपाल में बीजेपी द्वारा आयोजित तिरंगा यात्रा में उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया — यह उनकी बहादुरी और महिलाओं की भूमिका के लिए मान्यता थी ।
वाराणसी में एक साड़ी व्यापारी ने खास साड़ी डिज़ाइन की जो व्योमिका और कर्नल सोफिया कुरैशी की बहादुरी को समर्पित थी, जिसे ‘सिल्क पर सम्मान’ कहा गया ।
व्यक्तित्व और मूल्य
अकेले पायलट नहीं—व्योमिका एक शांत, अनुशासित, और विनम्र व्यक्तित्व की धनी हैं। उनके शिक्षकों और स्कूल दोस्तों ने बताया कि वे दोनों हिंदी और अंग्रेज़ी में निपुण, और छायादार में डिबेट्स और बास्केटबॉल में सक्रिय थीं
एक सहपाठी ने कहा — “व्योम आकाश को छूने के लिए बनी थीं,” और आज वह सच हो गया
निष्कर्ष
विंग कमांडर व्योमिका सिंह की कहानी है—सपनों की ऊँचाई को पकड़ने, दृढ़ इच्छाशक्ति से उस आसमान को छूने की। उनकी जीवन यात्रा ने साबित कर दिया कि नाम भी दिशा प्रदान कर सकते हैं।
वह न केवल भारतीय वायु सेना की बहादुर अधिकारी हैं, बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए एक अदम्य प्रेरणा का प्रतीक भी हैं— कि महिलाएँ ना सिर्फ मर्दों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकती हैं, बल्कि आवश्यक हो तो नेतृत्व भी कर सकती हैं।